नीरज से बढ़ के और धनी कौन है यहाँ
उस के हृदय में पीर है सारे जहान की
21Jun
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मैं लेखक हूं, हालातों पर लिखता हूं, जज्बातों पर लिखता हूं,
दफन हुई ख्वाहिशें, किसी की चंद मुलाकातों पर लिखता हूं,
समाज में फैल रहे द्वेष, अनैतिकता और गंदगी पर लिखता हूं,
कभी कभी मुकद्दर से चोट खायी अपनी ज़िन्दगी पर लिखता हूं..!!