sureshjain.com2024-08-28T12:47:21+05:30 हम भी सीखेंग अदा अब तो रूठ जाने की,उनको आदत है बहुत हमको भूल जाने की,लो हो गयी न तसल्ली जो दिल ये टूटा है,क्या ज़ुरुरत थी मुहब्बत को आज़माने की