यूँ भी हयात में है, जवानी की अहमियत जैसे शदीद प्यास में पानी की अहमियत रफ़्तार में रहें न रहें और बात है लेकिन है ज़िंदगी में रवानी की अहमियत लोगों ने सिर्फ़ सुन के, बजा दी हैं तालियाँ किरदार को पता है कहानी की अहमियत लफ़्ज़ों की गुफ़्तुगू से ज़ियादा है बात में लहजे की और उसके मआनी की अहमियत कितनी ही ख़ूब क्यूँ न हो ख़्वाहिश नई नई रहती है ज़िंदगी में पुरानी की अहमियत जकड़े हुए हैं आज भी हम इस रिवाज में राजा के बाद होती है रानी की अहमियत राघवेंद्र द्विवेदी