हर लम्हा लंबा और भारी है,
तुम्हें भुलाने की जंग जारी है...

वो जो साँसों में बसे रहते हैं,
उन्हीं से मिलती चोट भारी है...

गुनाह और ज़ख़्म छिपते नहीं,
 कोशिशें  शिद्दत से  जारी है...

हर एक तंज़ का जवाब है,
कुछ तो हमनें भी की तैयारी है...

नीलम