नदियों का बहना और समंदर के खारेपन में समाहित हो जाना; प्रेम का इतना सा ही भाव है, प्रेम प्रारंभ भी अंत भी और अनन्त भी है। नेहा यादव

नदियों का बहना और समंदर के खारेपन में समाहित हो जाना; प्रेम का इतना सा ही भाव है, प्रेम प्रारंभ भी अंत भी और अनन्त भी है। नेहा यादव