साया नहीं है बाप का, बच्चा भी है गोद,
मां ही जाने बच्चे का, कैसे भरना है ओझ,
धूप सहे बरसात सहे या रहे शरीर से सोझ,
ईंटों से ज्यादा भारी है ज़िम्मेदारी का बोझ..!!