एक समंदर
मेरे अंदर
मस्त कलंदर...
उछल रहा है
उछल उछल कर
निगल रहा है
वक्त को
वक्त की बेवजह
पाबंदीओं को…
अंदर के
समंदर से
कभी
वक्त 
कहां बड़ा हो पाया ❓
मैंने मुझको
हमेशा
वक्त से
बड़ा पाया
इस लिए
अंदर के समंदर में
वक्त को
डूबता पाया।।