कभी न कभी ज़िन्दगी मे
किसी कवि से प्रेम जरूर करना
वो शायद
नहाता कम होगा
पर दिन मे दो बार
वो खुद को खंगलता जरूर होगा
अपने अंदर के खयालो को
सड़ने से काफी पहले
कागजो पर निकालता जरूर होगा
इसलिए
एक बार को ही
ऐसे किसी शख्स के करीब जाना
और वक़्त पड़े तो
उसे प्रेम कर देखना
ताउम्र नही