आकर वतन से दूर तरक्की की छाव में
परदेश हम ने बाँध लिए अपने पाँव में
रह कर अज़ीम शहरो में परवेज़ आज भी
दिल का कयाम है उसी छोटे से गाँव में

आकर वतन से दूर तरक्की की छाव में
परदेश हम ने बाँध लिए अपने पाँव में
रह कर अज़ीम शहरो में परवेज़ आज भी
दिल का कयाम है उसी छोटे से गाँव में