चरित्र कि कसौटी पर स्त्री के जज़्बात निचोड़े जाते हैं,
पवित्रता कि परीक्षा में हर बार उसके कपड़े उतारे जाते हैं,
हर पीड़ा सहकर भी खामोश रहती है वो,
उसके ज़ख़्म तो भर जाते हैं मगर निशां छोड़े जाते हैं..!!