जमीं से जुड़े लफ़्ज़ों में वो
समुंदर से गहरे सार लिखती है…
दिल में कैद लिए ख़ामोशी
कलम से शोर बेशुमार लिखती है…
भूल चुके जिसे अपने सारे
उन लम्हों को यादगार लिखती है…
तपती रेत को एक बंजारन
भरे सावन सी बहार लिखती है…
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जमीं से जुड़े लफ़्ज़ों में वो
समुंदर से गहरे सार लिखती है…
दिल में कैद लिए ख़ामोशी
कलम से शोर बेशुमार लिखती है…
भूल चुके जिसे अपने सारे
उन लम्हों को यादगार लिखती है…
तपती रेत को एक बंजारन
भरे सावन सी बहार लिखती है…