यादो मे बसर हो रही थी ज़िन्दगी
जब से आने का पैग़ाम आया
पलपल बेकली इंतजारो का हुआ अंत हर आती हवा की सरसराहट पर भिनी खुशबू आने लगी उनकी मुन्तजिर निगाहे ढूंढ रही मोहब्बत-एकशिश की परवाह
बरकत है उनकी
कुछ श्रृंगार कर लें…तो ..उनकी
चाहत की निगाहों से संवर जाए