लहू किस कद्र लबों से फूटा है
साँस टूटी है कि तेरा साथ छूटा है
शिकवा नहीं बनता अब रहजनों से
रहबरों ने ही काफिला लूटा है
लोग ओर भी शामिल थें मेरी हयात में
दिल मगर तेरी जुस्तजू में टूटा है
चिराग जल रहें हैं क़ब्रो पर
आज रोशनी का नसीब फूटा है
![](https://sureshjain.com/wp-content/uploads/2023/06/20230627_025153-450x193.jpg)
लहू किस कद्र लबों से फूटा है
साँस टूटी है कि तेरा साथ छूटा है
शिकवा नहीं बनता अब रहजनों से
रहबरों ने ही काफिला लूटा है
लोग ओर भी शामिल थें मेरी हयात में
दिल मगर तेरी जुस्तजू में टूटा है
चिराग जल रहें हैं क़ब्रो पर
आज रोशनी का नसीब फूटा है