sureshjain.com2024-08-28T15:17:12+05:30 लहू किस कद्र लबों से फूटा हैसाँस टूटी है कि तेरा साथ छूटा है शिकवा नहीं बनता अब रहजनों सेरहबरों ने ही काफिला लूटा है लोग ओर भी शामिल थें मेरी हयात मेंदिल मगर तेरी जुस्तजू में टूटा है चिराग जल रहें हैं क़ब्रो परआज रोशनी का नसीब फूटा है