प्रेम
पाप यदि है
इस धरा पर पवित्र फिर क्या होगा
जल नहीं थल नहीं
वायु नहीं गगन नहीं अग्न नहीं

फिर बोलों तुम
क्या शिव हृदय पत्थर होगा
नहीं नहीं
होगा करुणा भरा ईश्वर
तभी तो
शुद्ध हृदय प्रतिबिम्ब उसका प्रेम होगा।

राजेश गौरी