कुछ होगा
कुछ होगा अगर मैं बोलूँगा
न टूटे न टूटे तिलिस्म सत्ता का
मेरे अंदर एक कायर टूटेगा –
टूट मेरे मन टूट
एक बार सही तरह
अच्छी तरह टूट
मत झूठमूठ – ऊब मत रूठ
मत डूब, सिर्फ टूट

~ रघुवीर सहाय