रोज़ नया दिन निकलता है पर सूरज तो वही है
एक चक्कर घूम के दुबारा आपके पास आता है
और नया हो जाता है

वैसे ही ये ज़िंदगी है जब आप चाहें उसे नया बना दे
अच्छाईयों के प्रकाश से इसको नई रौशनी दे
पुराने गिले शिकवे क्रोध नफ़रत अँधेरें छोड़ कर
दिन की रोज़ नई शुरुआत करें