मंजिल इतनी पास होकर भी उनकी राहें गुम क्यूँ है?
हम क्या इतने गैर है ख़ुदा..
अगर नहीं तो मेरी दुआ में तेरी मंजूरी इतनी तंग क्यूँ है?