मकानों को घर मे तब्दील करने वाली स्त्रियां
करती हैं अनगिनत सब कुछ हर बार
अपने आत्मसमान को दांव पर लगाकर
फिर भी पाती है तिरस्कार अक्सर उन्हीं अपनों से जिनके लिए वह सबकुछ करती है