sureshjain.com2023-07-06T22:20:09+05:30 बारिश में भीग मन बावलाधीरे-धीरे पट हृदय के खोल रहाआंखों से चूम तन बावलामृग कस्तुरी बन स्वच्छंद दौड़ रहा