मुस्कान को तमीज चाहिए
आंसुओ को तन्हाई
अकेला पन जब काटने लगा
तो बचपन की याद आई
भीड़ बहुत है आसपास सबके
पकड़े है कोई न कोई हाथ भी
दिल ने जब सुकून चाहा
याद मां की गोद ही आई
हां खुश हूं में कहता है हर कोई
हंसी झूठी चेहरे पे सजा के
जो मुस्कुराना आंसुओ ने चाहा
पापा की डांट ही याद आई