एक घुटन सी हो रही थी मुझे संपूर्ण रात्रि ,
घबराहट सी हो रही थी अपने ही अंधेरे कमरे में....
भोर की सुनहरी रौशनी आई एक हल्की दस्तक लिए ,
उदासी तमाम मेरे कमरे के दरवाज़े से फ़ौरन ही विदा हो कर नई ताज़गी भर गई ।।