sureshjain.com2024-05-20T14:43:42+05:30 एक घुटन सी हो रही थी मुझे संपूर्ण रात्रि ,घबराहट सी हो रही थी अपने ही अंधेरे कमरे में....भोर की सुनहरी रौशनी आई एक हल्की दस्तक लिए ,उदासी तमाम मेरे कमरे के दरवाज़े से फ़ौरन ही विदा हो कर नई ताज़गी भर गई ।।