युद्ध का ज्वालामुखी है फूटता
राजनैतिक उलझनों के ब्याज से
या कि देशप्रेम का अवलम्ब ले !

किन्तु, सबके मूल में रहता हलाहल है वही
फैलता है जो घृणा से, स्वर्थमय विद्वेष से !

युद्ध को पहचानते सब लोग हैं
जानते हैं, युद्ध का परिणाम अन्तिम ध्वंस है !