शब्दों से तुम बन गए
पंक्तियों में मेरे ढल गए
स्याही में मेरे पिघल गए
रचना मेरी तुम बन गए।

हर छंद में तुम रम गए
मैं तुम पर अब क्या लिखूं?
मेरे गीत के नज़्म बन गए
जीने की वजह तुम बन गए।

स्वर लहरी तुम बन गए
गीतों की धुन में सज गए
विरह वेदना तुम बन गए
मेरी चेतना के केंद्र तुम बन गए