माँ 
एक बोझा लकड़ी के लिए 
क्यों दिन भर जंगल छानती, 
पहाड़ लाँघती, 
देर शाम घर लौटती हो? 

माँ कहती है : 
जंगल छानती, 
पहाड़ लाँघती, 
दिन भर भटकती हूँ 
सिर्फ़ सूखी लकड़ियों के लिए। 
कहीं काट न दूँ कोई ज़िंदा पेड़ !