यह कविता नहीं जीवन का सार है जिसने ख़ुद को ना चाहा उसका जीना बेकार है सौ सितारों के जहां भी उसके लिए अंधकार है जो ख़ुद को ना चाहे खुद को सजा दे जो खुद को ना चाहे किसी को क्या ख़ुशी दे जो खुद को खुशी दे मोहब्बतें जगा दे जो खुद को खुशी दे मुस्कुराहटे सजा दे
13Feb