sureshjain.com2023-12-28T00:19:17+05:30 मुहब्बत की निशानी ख़ाक करके, ज़ख्म छुवन के कहानी कह रहे। गलियों में छिपकर बहा करती थी, समंदर में मौज ए रवानी कह रहे।