गुलशन के निगहबानो हम को न भुला देना कुछ ख़ार भी लाज़िम हैं फूलों की कहानी में ऐ दीदा-ए-तर तुझ को मालूम नहीं शायद बह जाते हैं ख़्वाब अक्सर अश्कों की रवानी में
16Dec
गुलशन के निगहबानो हम को न भुला देना कुछ ख़ार भी लाज़िम हैं फूलों की कहानी में ऐ दीदा-ए-तर तुझ को मालूम नहीं शायद बह जाते हैं ख़्वाब अक्सर अश्कों की रवानी में