गुलशन के निगहबानो हम को न भुला देना
कुछ ख़ार भी लाज़िम हैं फूलों की कहानी में

ऐ दीदा-ए-तर तुझ को मालूम नहीं शायद
बह जाते हैं ख़्वाब अक्सर अश्कों की रवानी में