गालों पर उंगलियों की छाप पीठ पर लात जूतों की बरसात होंठों पर दाँतों के निशान मुख की कोरों से बहता रक्त कानों में गूँजती रिश्तों को शर्मशार करती हुईं गालियाँ 'उन दिनों'. उसकी टाँगों के नीचे आने से मैंने मना क्या कर दिया बस.. उसने एक चुटकी सिन्दूर की कीमत इस तरह से वसूल कर ली