ग़ुरूर में बन्दा खुद को हर इक से जुदा समझता है अधूरा आदमी ख़ुद को ख़ुदा समझता है अभी ख़मोश हूं तो ताअल्लुक़ की ज़िंदगी के लिए ख़बर नहीं वो मेरी चुप्पी को क्या समझता है।
08Dec
ग़ुरूर में बन्दा खुद को हर इक से जुदा समझता है अधूरा आदमी ख़ुद को ख़ुदा समझता है अभी ख़मोश हूं तो ताअल्लुक़ की ज़िंदगी के लिए ख़बर नहीं वो मेरी चुप्पी को क्या समझता है।