कुछ आस थी कभी, कभी कुछ वहम था 
एक दरिया सा और एक विशाल सागर सा 

वो आस भी ले डूबी और वहम भी ले डूबा 
कभी गहरी आग सा तो कभी गहरे पानी सा ...