कुछ आस थी कभी, कभी कुछ वहम था एक दरिया सा और एक विशाल सागर सा वो आस भी ले डूबी और वहम भी ले डूबा कभी गहरी आग सा तो कभी गहरे पानी सा ...
29Nov
कुछ आस थी कभी, कभी कुछ वहम था एक दरिया सा और एक विशाल सागर सा वो आस भी ले डूबी और वहम भी ले डूबा कभी गहरी आग सा तो कभी गहरे पानी सा ...