sureshjain.com2024-08-27T15:44:59+05:30 एक गुमनाम सा किरदार, हमारा भी हैं कहीं, जज्बात तो बहुत हैं, मगर हक एक भी नहीं, करना तो बहुत कुछ हैं किसी एक की खातिर, मगर मन इसी कश्मकश में हैं कि उनके जीवन में, हमारा कोई अस्तित्व भी तो नहीं कही ..