sureshjain.com2024-08-27T16:31:10+05:30 मुकद्दर कि चोट ऐसी खाई थी मैंने,आज हर कदम पर फिसल रहा हूं,कभी झूठे सुख, तो कभी झूठी हंसी लिये,मैं किरदारों पर किरदार बदल रहा हूं..!!