08Aug08/08/2023 sureshjain.com2023-08-05T13:19:40+05:30 मुकद्दर कि चोट ऐसी खाई थी मैंने, आज हर कदम पर फिसल रहा हूं, कभी झूठे सुख, तो कभी झूठी हंसी लिये, मैं किरदारों पर किरदार बदल रहा हूं..!! विरक्ति