मुझे बर्दाश्त करने की नसीहत ना दीजिएबल्कि मेरी जगह आइए और बर्दाश्त कीजिए...

पहले कच्चे घरों में स्वर्ग की अनुभूति हुआ करती थी अब शीश महल में अपनेपन का स्पर्श नहीं मिल पाता

रोना वीकनेस का साइन नहीं है,इंसान होने का साइन है !!

पुरानी आदतों को है बदलना अब मुश्किलमेरी मुहब्बत को तुम वही आदत समझो

याद रखना सपने तुम्हारे है तो पुरे भी तुम ही करोगे , न तो हालात तुम्हारे हिसाब से होंगे और न ही लोग !