मेरे कानों का वो झुमकाहमारे इश्क़ की छन छन पेइतराता है तेरे हाथों की छुअन सेजाने क्यूँ अब भीशर्माता है

किसी गरीब से ये बड़े शहर के लोगपैसे देकर बहुत कुछ छीन लेते है….!!

उदासियों के लिए तो एकांत ही चाहिएँ ख़ाली छतों पे चांद तारों का सिलसिला रखना..!!

नाम लेती हो मेरा , बदतमीज ,तुम मुझे आप क्यूं नही कहती ।।

जो जवाब वक्त पर नहीं मिलते, अक्सर वो अपने मायने खो देते हैं।