06Aug06/08/2023 sureshjain.com2023-08-03T12:19:15+05:30 छलक पड़ते हैं आंसू जब भी ख्याल-ए-बरसात आता है, तब प्रेम से भीग जाता था बदन, आज विरह नहलाता है..!! विरक्ति