परिवार और समाज दोनों ही बर्बाद होने लगते हैं
जब समझदार मौन और नासमझ बोलने लगते हैं।
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आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए
वरना फिर एक दिन कहानी से निकाले जाएंगे
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हम खड़े वहां होते हैं 
जहां बैठने को जगह नही होती...
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होठों पर जरूरत से ज्यादा बिखरी हंसी,
अक्सर गवाह होती है आंखों में पसरी हुई उदासी की....
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रखना अपने शौक को ज़िन्दा,
किसी के मोहताज मत होना,
शरीर भले ही लाचार रहे,
मगर दिमाग से अपाहिज़ मत होना..
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कोशिश करे ,
शिकायत नहीं...
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खुद को शरीफ बस इतना ही रखो, 
जितना आपके साथ दुनिया रहे !
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गरीब की थाली में पुलाव आ गया है
लगता है शहर में चुनाव आ गया...
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रामचंद्र कह गये सिया से 
ऐसा कलयुग आएगा,

देश में होगी भुखमरी, बेरोज़गारी
वो उसे ही विकास बतलायेगा
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पहले हेलीकाप्टर नेता आये
अब हेलीकाप्टर पत्रकारिता आ गई…
विकसित होने का रास्ता या दिवालियापन…
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दर्द छुपाते छुपाते,
दर्द में जीने की आदत हो गई !

” मैं शायर तो नहीं “

कुछ यहां से, कुछ वहां से…

सबका धन्यवाद !

चेहरे पर चेहरा लगाना पड़ता हैं,
मैं ठीक हूं ये कहकर मुस्कुराना पड़ता हैं !