19Mar
जब भी तुमको देखती हूँ तुम्हें ख़ुद को देखते हुए पाती हूँ मेरी नज़रों में तुम नज़र आते हो तुम्हारी नज़रों में, मैं नज़र आती हूँ
19Mar
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19Mar
जीवन को बहुत क़रीब से देखने के बाद अब मैं हमेशा तैयार रहता हूँ, जो छूटना है छूटे, जो टूटना है टूटे, मैं अपने दोनों हाथों को हमेशा खुला रखता हूँ, जिसका जब तक मन करे अपना हाथ इन हाथों पर धरे या इन हाथों को पकड़ा रहे और जब इच्छा हो या मन भर जाए तो निकल जाए, मैं अब अपनी मुट्ठी कभी बंद नहीं करता, मैं अब कुछ भी नहीं पकड़ता
19Mar
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19Mar
विनय विफल हो जहाँ, बाण लेना पड़ता है। स्वेच्छा से जो न्याय नहीं देता है, उसको एक रोज आखिर सब-कुछ देना पड़ता है।
19Mar
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19Mar
एक ही शख्स समझता था उसे, और एक ही शख्स समझता था मुझे !! फिर ये हुआ की वो भी समझदार हो गया, और हम उसके सामने बच्चे ही रह गये !!
दर्द छुपाते छुपाते,
दर्द में जीने की आदत हो गई !
” मैं शायर तो नहीं “
कुछ यहां से, कुछ वहां से…
सबका धन्यवाद !
चेहरे पर चेहरा लगाना पड़ता हैं,
मैं ठीक हूं ये कहकर मुस्कुराना पड़ता हैं !